PAIN by The runner who hides
दर्द
अनुवाद : खुर्शीद अनवर
और इश्क एक दर्द
दर्द है तेरा खयालों में मेरे बस् जाना
बेक़रार करना कि आंसू का सहारा मैं लूँ
दर्द है मेरा तुझे काबिल-नफरत पाना
दर्द है मेरा कि नफरत करूँ उन बातों से
जो मेरे ज़ख्म बने खून-जिगर करते रहे
दर्द है यह कि मैं हूँ आशना अब भी तुझसे
दर्द है मुझको हर उस बात से जो है तुझ में
दर्द है तेरे वह चेहरा कि जिसे देखूं मैं
कितना ग़मनाक है नजरें तेरे तेरी जानिब करना
दर्द है मुझको कि तू याद मेरी आये
कितनी ही वजहें हैं कमबख्त कि तू याद आये
दर्द फैला है हर एक सिम्त जिधर भी देखो
दर्द कुहराम मचाता धमक कर सर में
और नमक बन के पिघलता है मेरे आंसू में
दर्द है रोना बिलख कर तो कभी यह ख्वाहिश
मौत की गोद में सर रख के मैं रुखसत ले लूँ
ऐसा सरदर्द है यह दर्द कि थमता ही नहीं
सब के सब मेरे खयालों को किया गुम इसने
ज़ेहन के फैले दरीचे से निकलता ही नहीं
ख्याल का ज़िंदगी तक को भी न छोड़ा इसने
और अब दर्द है, मैं हूँ, मेरा सरमाया दर्द