Remembrance by Maya Angelou
अनुवाद : खुर्शीद अनवर
शहद की मक्खी की मानिंद बने छत्तों में
मेरे रुखसार की हर साख्त पे मुस्काते है
कभी तो जिस्म पे मेरे मचलते जाते हैं
कभी दमक कभी सरगोशी से इज़हार के साथ
रहस्य का जाल मेरे तर्कों पे छा जाता है
बलात्कार का एह्सास सा दिलाता है
जिस घड़ी खुद को और अपने बिखेरे जादू को
समेट लेते हो अपनी पहल पे मुझसे अलग
तुम्हारी बू ही फक़त रहती है सीनों के बीच
उस घड़ी, ठीक उसी वक्त बिना शर्म-ओ-हया
तेरी मौजूदगी का जीता सा सारा एहसास अपने अंदर मैं समां लेती हूं रख लेती हूं।