My Angry Cat by Nizar Qabbani
माई एंग्री कैट
अनुवाद : खुर्शीद अनवर
कितनी ही बार वही एक सवाल
मेरी दुनिया में कोई और भी मौज़ूद है क्या
फिर वही एक सवाल
क्यों नहीं? सोचा भी क्या था तुमने?
कब्रगाहों में भी आते हैं बहुत से इंसां
क्यों नहीं? कितने ही हैं मर्द वहां
किसी गुलशन में परिंदों की कमी होती नहीं
तुम तो बस एक थे, बस एक अकेला अनुभव
और मैं हूं कि इस अनुभव से हुई हूं बेज़ार
अब मैं आज़ाद हूं करती हूं हवा में परवाज़
अपनी कमज़ोरी से नादानी पाकर के नजात
आखिर अंजाम को आती है हर एक खुशफहमी
क्या कहा! मुझसे मुहब्बत है तुम्हें फिर भी अभी
फिर वही लफ्ज़
वही मुर्दा ज़मानों का कहानी कहना
यह तो बतलाओ कि मुझसे तुमने
जिस्म पर रेंगते हाथों के सिवा कब तुमने
कोई दिलचस्पी का इज़हार किया कब तुमने
क्या हुआ! तुमको अचानक कि यह सैलाब उठा
इश्क के जज़्बे ने कब तुममें हिलोरे मारी
कीमती घर की सजावट में भरे फर्नीचर
उनमें से एक थी मैं उसके सिवा कुछ भी नहीं
मैं वह गुलशन थी जिसे तुमने उजाड़ा हर दम
उसकी खातिर तुम्हें गम था न ही कोई थी शर्म
क्यों मेरे सीनों को यूं घूर रहे हो ऐसे
कभी मालिक की तरह छाये थे इनपर जैसे
यूं बिलखते हो मेरे सामने आकर कैसे
सल्तनत अपनी बिखरती सी लगे हो जैसे
देखो किसी तरह बिखरता है तुम्हारा मंसब
इंतकाम पूरा हुआ झुका अब ज़ुल्म का सर
अब कहो बाज़ी कहां पर ठहरी
मैंने बख्शा था तुम्हें खुद को कुछ ऐसे जैसे
कोई दर खोल दे जिनाते-ए-अदन1 के जैसे
सारे फल-फूल की शीरीनी तुम्हें दे डाली
सब्ज़ा दे डाला हर एक चाह तुम्हें दे डाली
सारी एहसान फ़रामोशी की मीरास के बाद
कोई जन्नत न जहन्नुम का सिला मेरे पास
काश एक बार बस एक बार तुम्हारी नज़रें
काश इंसान सा महसूस करा पाती मुझे
दूसरा मर्द जो तुम देखते हो मेरे साथ
इसके होने का सबब होता न फिर मेरे पास
1. गार्डेन ऑफ इडेन