Ibrahim Tukan की कविता "My Home Land" का अनुवाद
मेरे वतन
अनुवाद : खुर्शीद अनवर
मेरे वतन
अज़मत तेरी और तेरा हुस्न
तेरे पहाड़ों में छिपी
शौकत, जमाल-ओ-सादगी
माहौल में धज का समां
जीवन का चलता कारवां
खुशियां बिखरती हैं जहां
उम्मीद की अंगडाइयां
क्या देख पाऊंगा तुझे
शादाब और महफूज़ मैं
बा-इज्ज़त और पुर वक़ार
क्या देख पाऊंगा तुझे
ऐसी बुलंदी की तरफ
जो कहकशां को चूम ले
इस मुल्क का कोई जवां
थक, हार सकता ही नहीं
आज़ादी का परचम लिए
वह मौत से टकरायेगा
और मौत के होठों से वह
बस जाम पीता जायेगा
पर अब नहीं मुमकिन कि हम
दुश्मन के कारिंदे बने
उनकी गुलामी हम करें
बेइज़्जती सहते रहें
और ज़िंदगी मर-मर जियें
हम लेंगे वापस अज़मतें
अपने वतन की नेमतें
मेरे वतन
मेरे वतन
एक हाथ में तलवार है
दूजे कलम की धार है
अब यह हमारे हैं निशां
इनसे ही होगा सब बयां
अब गुफ्तगू किस काम की
अज़मत का लेकर अज़्म हम
अब उठ खड़े हैं हम वतन
इज़्ज़त का बा-इज़्ज़त कदम
लहरायेंगे परचम अब हम
अय मुल्क तेरे सीने से
उखड़ेंगे दुश्मन के कदम
जीतेंगे अब यह जंग हम
मेरे वतन