"WE WILL RETURN" by Abdelkarim Al-karmi
हम वापस आएंगे
अनुवाद : खुर्शीद अनवर
ख्वाबों में खोऊं किस तरह
ज़ख्मों की गहराई लिये
आंखें करें सौ-सौ गिला
मैं सारे आलम को करूं
पाकीज़ा तेरे नाम से
प्यारे वतन ये मेरे ग़म
मैं राज़ ही रखता मगर
आशिक हूं पर, मजबूर हूं
ये रोज़-ओ-शब के कारवां
अफसाने जिनमें हैं निहां
साज़िश के तूफां हैं रवां
है एक तरफ दुश्मन जहां
कुछ यार भी हैं दरमियां
तू ही बता प्यारे वतन
तेरे बिना क्योंकर जिऊं
पर्वत तेरे, तेरी ज़मीं
और खूं में लथपथ वादियां
आवाज़ देती हैं मझे
वो देख उफ़क़ की लालिमा
दरिया के रोने की सदा
धारों में डूबी सिसकियां
कब से पुकारें हैं मुझे
कूचे तेरे, तेरे शहर
अब हैं यतीमों के नगर
हैं चीखते शामो-सहर
—
यारों को लेकिन है यकीं
होगी हमारी फिर ज़मीं
हम लौट कर फिर आएंगे
खाके वतन के हुस्न को
बोसों से हम चमकाएंगे
एक रोज़ ऐसा आएगा
यूं वक्त पलटा खाएगा
उट्ठेगी बन आंधी हवा
गूंजेगी तूफां की सदा
हम साथ लेकर आएंगे
उम्मीद, नगमें, कहकशां
चिंगारियां और बिजलियां
सर, बाजू, चेहरे, त्यौरियां
तलवार, खंजर, दिल और जां
फिर सुबह ऐसी आएगी
फिर सुबह ऐसी आएगी
सहरा पे जो मुस्काएगी
लहरों पे नग़में गाएगी