Don't Go Far Off by Pablo Neruda
बहुत दूर न जा
अनुवाद : खुर्शीद अनवर
एक भी दिन के लिए दूर न जा
मेरे अलफ़ाज़ मेरा साथ नहीं देते अभी
क्या कहूँ सोच नहीं पाता कहूँ तो क्या कहूँ
दिन का कटना बड़ा मुश्किल है कि लंबे हैं दिन
मुन्तजिर बैठूंगा खाली किसी स्टेशन पर
जबकि वह रेल रुकी होगी कहीं और कहीं
एक घंटे को भी तू दूर न जा
तुझको मालूम नहीं दर्द के मेरे क़तरे
हर तरफ़ फैल के माहौल में घुल जायेंगे
जो धुंआ उठता है और ढूँढता है कोई पनाह
मेरी रग-रग में उतर खून-ए-जिगर कर देगा
देख साया तेरा सागर पे न धूमिल होवे
और तेरी पलकें न बेमानी खला में झपकें
एक लमहे को भी अय जान मेरी दूर न जा
क्योंकि यह लम्हा कहीं दूर न ले जाए तुझे
और मैं सारी ज़मीं छान लूँ और मिल न सकूँ
और सोचूं कि क्या फिर अपना मिलन होगा कभी
या मेरी मौत का सामान बनेगी यह कमीं